Exit Rate Kya Hai | एग्जिट रेट को कम कैसे करें?

Exit Rate Kya Hai: बाउंस रेट के बारे में जानने के बाद अब आपके मन सवाल आ रहा होगा कि आखिर एग्जिट रेट क्या है? क्योंकि किसी भी ब्लॉग के ट्रैफिक को चेक करने के लिए गूगल एनालिटिक्स में दोनों मेट्रिक्स का उपयोग होता है।

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यह दोनों मेट्रिक्स, एसईओ की दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। बहुत से नये ब्लॉगर्स इन दोनों के बीच बहुत कंफ्यूजन होते हैं, लेकिन चिंता की बात नहीं हम इस लेख में बाउंस रेट और एग्जिट रेट से संबंधित सारे कंफ्यूजन को दूर कर देंगे।

पिछले लेख में हमने आपको बाउंस रेट के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की थी। जिस कारण लेख में मेरा पूरा फोकस आपको Exit Rate Kya Hai के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने का है।

जब आप अपनी वेबसाइट के Google Analytics डेटा को देखते हैं, तो कई मेट्रिक्स दिखाई देते हैं, जैसे Bounce Rate, Page Views, Session Duration और Exit Rate। इनमें से Exit Rate एक ऐसा संकेत है जो बताता है कि लोग आपकी वेबसाइट से किस पेज पर आकर बाहर निकल रहे हैं।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:

  • Exit Rate क्या है
  • Bounce Rate से फर्क क्या है
  • Exit Rate ज्यादा क्यों होता है
  • और Exit Rate को कम कैसे करें

Exit Rate Kya Hai? (एग्जिट रेट क्या है?)

Exit Rate Kya Hai
Exit Rate Kya Hai

एग्जिट रेट उन युजर्स का प्रतिशत मान होता है, जो आपकी वेबसाइट पर पहले पेज से वापस न होकर दूसरे, तीसरे, चौथे या अन्य किसी पेज से एग्जिट करते हैं।

इसी प्रतिशत मान को एग्जिट रेट कहा जाता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मेट्रिक होता है। जिसका उपयोग यह जांचने के लिए किया जाता है कि आपकी वेबसाइट के प्रदर्शन कर रही है।

चलिए इस साधारण भाषा में समझते हैं। माना कोई युजर ब्राउजर में अपनी कोई क्यूरी (Blog Kaise Banaye) सर्च करता है, तो उसके सामने जितने भी रिजल्ट आते हैं उनमें से किसी एक पर क्लिक करने अपनी जानकारी हाँसिल करके उसी वेबपेज से ही वापस लौट जाता है। किसी दूसरे वेबपेज पर नहीं जाता है।

आज के समय में ज्यादातर वेबसाइट या ब्लॉग के एक से अधिक पेज होते हैं। हम जो भी आर्टिकल लिखते हैं उसका एक नया वेबपेज ब्लॉग पर बन जाता है। 

एग्जिट रेट का सूत्र

किसी भी वेबपेज के एग्जिट रेटको निम्नलिखित सूत्र की मदद से निकाला जाता है।

एग्जिट रेट = (Number of Exits / Number of Pageviews) * 100

एग्जिट रेट का मतलब

एग्जिट रेट का हिंदी मतलब “निकास दर” होता है।

एग्जिट रेट को चैक कैसे करें?

एग्जिट रेट को चैक करने के लिए आपको गूगल एनालिटिक्सs के Behavior वाले ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। इसके बाद यहाँ पर आपको आपकी वेबसाइट अथवा ब्लॉग का पूरा एग्जिट रेट देखने को मिल जायेगा।

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एग्जिट रेट क्यों बढ़ता है?

वैसे तो बहुत से ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से वेबसाइट का एग्जिट रेट बढ़ जाता है। लेकिन यहाँ पर निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं जिनकी वजह से किसी भी वेबसाइट अथवा ब्लॉग का एग्जिट रेट बढ़ता है।

  • डिजाइन खराब होना।
  • नेविगेशन का अच्छा न होना।
  • कंटेंट का Relevant या आकर्षक न होना।
  • कंटेंट को पढ़ने और समझने में मुश्किल होना।
  • क्वालिटी कंटेंट की कमी।

अगर आपकी वेबसाइट का एग्जिट रेट अधिक है, तो यह गूगल सर्च इंजन को संकेत देता है कि आपकी वेबसाइट पर गलत है। जैसे- आपका कंटेंट अधूरा जो युजर्स को अपनी ओर आकर्षित नही कर रहा है।

युजर्स को आपकी वेबसाइट को उपयोग करने परेशानी हो रही है। जिसके कारण सर्च इंजन आपकी रैंकिंग को प्रभावित करता है। अगर आप अपनी वेबसाइट की रैंकिंग को सुधारना या वरकरार रखना चाहते हैं, तो इसको कम ही रखना है।

एग्जिट रेट को कम कैसे करें?

आप अपनी वेबसाइट पर एग्जिट रेट को कम करने के लिए निम्नलिखित टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।

  • ब्लॉग पोस्ट में इंटरनल लिंकिंग अच्छे से करें। इंटरनल लिंक में उपयोग हुए लेख को न्यू टैब में न Open करें।
  • युजर्स अनुभव को बेहतर करने के लिए वेबसाइट अथवा ब्लॉग की डिजाइन को Simple और साधारण रखें।
  • वेबसाइट अथवा ब्लॉग पर कंटेंट को Relevant और आकर्षक बनायें?
  • वेबसाइट अथवा ब्लॉग पर कंटेंट को ऐसे लिखे जिसे पढ़ने और समझने में आसानी हो।
  • वेबसाइट अथवा ब्लॉग का नेविगेशन को बेहतर बनायें।
  • ध्यान भटकाने वाला कंटेंट जैसे- music, video, दखल देने वाले पॉप-अप का इस्तेमाल तभी करें जब उनको उपयोग बहुत ही महत्वपूर्ण हो। क्योंकि यह एग्जिट रेट बढ़ाने में सबसे आगे होते हैं।
  • वेबसाइट की स्पीड़ को फास्ट रखें। क्योंकि जिस वेबसाइट को लोड़ होने में 3 से 7 सेकेंड लगते हैं, 75% युजर्स उस वेबसाइट छोड़ देते हैं।

बाउंस रेट और एग्जिट रेट में अंतर

बाउंस रेट और एग्जिट रेट में अंतर क्या होते हैं। यह जानने के लिए आपको निम्नलिखित सारणी को पढ़ना होगा।

Bounce RateExit Rate
जब विजिटर वेबसाइट के पहले पेज को विजिट करके लौट जाते हैं, तो उसे बाउंस रेट कहा जाता है।जब विजिटर के वेबसाइट के दूसरे, तीसरे या उसके बाद किसी पेज से वापस लौटते हैं, तो एग्जिट रेट कहा जाता है।
आप बाउंस रेट को गूगल एनालिटिक्स में ऑडयंस वाले सेक्सन में चैक कर सकते हैं।वहीं एग्जिट रेट को आप एनालिटिक्स के विहेवियर के सेक्सन में चैक कर सकते हैं।
बाउस रेट निकालने का फार्मूला = One Page Visit ÷ Total Page Visit × 100एग्जिट रेट निकालने का फॉर्मूला = पेज से टोटल एग्जिट ÷ कुल पेज विजिट × 100
जब बाउंस रेट बढ़ जाता है, तो वेबसाइट की रैंकिंग पर बुरा प्रभाव पड़ता है।एग्जिट रेट का ज्यादा बढ़ना थोड़ा नकारात्मक हो सकता है।
बाउंस रेट और एग्जिट रेट में अंतर

यहाँ तक पढ़ने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि बाउंस रेट और एग्जिट रेट एक दूसरे से कितने अलग हैं। जिन वेबसाइट का एग्जिट रेट अधिक होता है। उनकी रैंकिंग में कमी आ सकती है। क्योंकि इसके अधिक होने पर गूगल आपकी वेबसाइट को वैल्यू नहीं देता है।

अगर आपकी वेबसाइट सिंगल पेज की है, तो यह दोनों मैटिक्स आपकी महत्वपूर्ण नहीं हैं। क्योंकि इस तरह की वेबसाइट किसी विशेष उद्देश्य के लिए बनायी जाती हैं।

तो वहीं अगर आपकी वेबसाइट मल्टी पेज पर बनी है, तो यह दोनों मैट्रिक्स आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। जिन पर आपको बहुत ध्यान देना होगा। अगर आप एक सफल Blogger बनना चाहते हैं।

YouTube Video Guide

निष्कर्ष -‌ Exit Rate Kya Hota Hai

Exit Rate एक महत्वपूर्ण संकेतक है जो आपको यह समझने में मदद करता है कि आपकी साइट पर यूज़र कहां और क्यों बाहर जा रहे हैं।

यदि आप चाहते हैं कि विज़िटर आपकी वेबसाइट पर ज्यादा समय बिताएं और Conversion बढ़े, तो Exit Rate को कम करना बेहद जरूरी है।

इस लेख से आपकी कुछ भी मदद हुई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें। जिससे उनकी और मेरी दोनों लोगों की भी कुछ मदद हो सके।

वहीं SEO से संबंधित आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सवाल है, तो आप मुझसे कमेंट करके पूंछ सकते हैं, हम जल्द से जल्द आपके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे।

Ashish Kumar एक Professional Blogger हैं, जिन्होंने पिछले 3 वर्षों से ब्लॉगिंग और ऑनलाइन पैसे कमाने के क्षेत्र में गहन अनुभव प्राप्त किया है। इस ब्लॉग पर आपको Blogging और पैसे कमाने से संबंधित सारी जानकारी मिलेगी।

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